आखिरकार पार्थ ने सच को एक्सेप्ट कर ही लिया था| अब तक डायरी में जितना भी कृष्ण ज्ञान उभर कर आया था उन सब के पार्थ ने नोट्स बना लिए थे| वह अपने लैपटॉप पर कुछ काम कर रहा था, तभी रागिनी उसके घर आई| वो पहले से ज्यादा उदास थी| पार्थ ने उसका बैग लिया और टेबल पर रख दिया| रागिनी का उदास चेहरा देखकर पार्थ ने पूछा,

पार्थ – क्या हुआ? परेशान दिख रही हो। घर पर सब ठीक तो है न?

रागिनी – कुछ ठीक नहीं है। कल वो गुंडे पापा को जान से मारने की धमकी देकर गए हैं पार्थ। मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा कि पापा की कैसे मदद करूं? पुलिस भी हमारी नहीं सुन रही, अगर पापा को कुछ हो गया तो हमारी फैमिली का क्या होगा?

इतना बोलकर रागिनी खुद को संभाल नहीं पायी और बिलख-बिलखकर रोने लगी| पार्थ जानता था कि रागिनी एक स्ट्रॉंग, इंडिपेंडेंट लड़की है और वो कभी इतनी आसानी से कमज़ोर नहीं पड़ती।अगर रागिनी रो रही है तो ज़रूर बात सीरियस ही होगी| पार्थ ने रागिनी के आंसू पोंछे और उसे चुप करवाते हुए बोला,

पार्थ – रागिनी तुम्हें चिंता करने की जरुरत नहीं है| सब कुछ ठीक हो जायेगा| कृष्ण कहते हैं, इस दुनिया में ऐसी कोई प्रॉब्लम नहीं है जिसका सोल्यूशन नहीं है। जब भगवान सारे दरवाज़े बंद कर देते हैं तो एक छोटा सा दरवाज़ा ज़रूर खुला रखते हैं| कृष्ण पर भरोसा रखो| तुम जादुई डायरी की हेल्प क्यों नहीं लेती? क्या पता मेरी जादुई डायरी तुम्हारी प्रॉब्लम भी सॉल्व कर दे|

रागिनी को अभी तक पार्थ की डायरी वाली बात पर यकीन नहीं था, बल्कि वो तो उसके बारे में भूल ही गई थी। उसने एक बार फिर डायरी की बात मानने से इंकार कर दिया|

रागिनी – पार्थ तुम्हें क्या हो गया है? जब से कुरुक्षेत्र से आये हो, जादुई डायरी के बारे में ही बात किये जा रहे हो| इस दुनिया में जादू जैसा कुछ नहीं होता है। 

पार्थ – मैं भी पहले यही मानता था लेकिन जब मैंने उस डायरी का मैजिक देखा तो मैं भी उसमें बिलीव करने लग गया| इस वक्त तुम्हारे पास पापा को मुसीबत में से बाहर निकालने का कोई आईडिया नहीं है| तुम सिर्फ एक बार डायरी की हेल्प लेकर देखो, अगर हेल्प नहीं मिलती है तो हम कुछ और सोचेंगे| सिर्फ एक बार ट्राई करके देखो रागिनी| मेरा भरोसा तो करो। 

रागिनी पार्थ की बात मानने के लिए तैयार हो गयी| पार्थ ने उसे समझा दिया कि उसे डायरी  का पहला पन्ना खोलना है और अपनी प्रॉब्लम को मन में बोलना है| रागिनी ने वैसे ही डायरी का पहला पन्ना खोला और अपनी प्रॉब्लम को मन में बोलने लगी लेकिन पन्ने पर कोई शब्द उभर कर नहीं आया| पार्थ ने उसे एक बार फिर से ऐसा करने के लिए कहा लेकिन दूसरी बार भी कुछ नहीं हुआ|डायरी को न काम करता देख पार्थ दंग रह गया था| 

रागिनी ने पार्थ की तरफ गुस्से से देखा और कहा, “पार्थ तुम मेरा समय बर्बाद कर रहे हो और कुछ नहीं। ये जादू वादू के चक्कर में पड़ फंसो। पार्थ रागिनी को समझा नहीं पा रहा था कि डायरी सच में रास्ता दिखाती है। उसने फिर खुद डायरी हाथ में ली और रागिनी की प्रॉब्लम मन में बोलने लगा| अचानक से डायरी पर पहले की तरह ही कृष्ण का मेसेज लिख कर आ गया| जादुई शब्दों को देखकर रागिनी चौंक गयी| वो बिना पलकें झपकाए डायरी को देखे जा रही थी| पार्थ फिर डायरी पढ़ने लगा, 

हे पार्थ, भय मनुष्य के अनेक भावों में से एक भाव है, किन्तु मनुष्य ने भय को अपने जीवन का एक हिस्सा बना लिया है| किसी घटना से या किसी बलशाली मनुष्य से भयभीत होना कोई बुरी बात नहीं है, बुरी बात ये है कि हम उस भय को अपने मन से निकालने में असफल होते हैं और उस भय कि वजह से अपना नुकसान कर बैठते हैं। भय से हम सोचने कि क्षमता खो बैठते हैं| मनुष्य को लगता है कि वो अकेला है या उसका पलड़ा हल्का है तो वो मुसीबतों का सामना नहीं सकता| उसे हमेशा ये बात याद रखनी चाहिए कि मुसीबत में जिसके साथ कोई नहीं होता उसके साथ मैं होता हूँ| दुर्योधन के पास पूरी नारायणी सेना थी और अर्जुन के पास केवल मैं था, वो भी निहत्था। युद्ध का परिणाम क्या था ये तो तुम्हें पता ही होगा पार्थ, तो मुसीबतों से भयभीत होना बंद करो और हिम्मत से उसका सामना करो| राधे राधे|

कृष्ण की सलाह जानकर रागिनी में थोड़ी हिम्मत आई| उसके मन में जो डर था वो कुछ पल के लिए दूर हो गया| अब तक वो पार्थ की बात पर भरोसा नहीं कर रही थी लेकिन अब उसने अपनी आँखों से डायरी का जादू देख लिया था| रागिनी ने चौंकते हुए पार्थ से कहा|

रागिनी – पार्थ ये कैसे हो सकता है? इस पर तुम्हारा नाम लिखा है| इसी वजह से जब ये डायरी मेरे हाथ में थी तो काम नहीं कर रही थी लेकिन जैसे ही तुमने इसे पकड़ा तो काम करने लगी| मुझे अभी भी यकीन नहीं हो रहा कि मैंने अपनी आँखों से जादू देखा है| आज से पहले सिर्फ कहानियों में चमत्कार की बातें सुनी थी लेकिन आज अपनी आँखों से देख भी लिया|

उसी वक्त रागिनी के फ़ोन पर उसके पापा का कॉल आया| कॉल पर उसके पापा ने बताया कि घर पर वो गुंडे फिर से आये हैं| इस बार वो लोग अपने साथ पिस्टल लेकर आये हैं| रागिनी के चेहरे का रंग एकदम से उड़ गया। उसके चेहरे पर दोबारा डर देखकर पार्थ ने पूछा|

पार्थ – क्या हुआ रागिनी? अंकल ने क्या कहा?

रागिनी– कुछ भी ठीक नहीं है| पापा का फ़ोन था, कह रहे थे कि वो लोग फिर आये हैं और इस बार वो पिस्टल लेकर आये हैं| मुझे बहुत डर लग रहा है कि कहीं वो पापा के साथ कुछ गलत ना कर दें|

पार्थ – तुम टेंशन मत लो| मैं भी तुम्हारे साथ चलता हूँ | कुछ नहीं होगा तुम्हारे पापा को|

रागिनी डर के मारे कांप रही थी| पार्थ ने उसे शांत किया और उसे कृष्ण की बात याद दिलाई| कुछ ही देर में पार्थ रागिनी के साथ उसके घर पहुंचा| वहां का नज़ारा देख कर दोनों के होश उड़ गए थे| घर में चार गुंडे थे और सभी घर का हर छोटा-बड़ा सामान घर से बाहर निकाल रहे थे| पार्थ तेज़ी से घर के अंदर गया और उनको रोकते हुए बोला|

पार्थ– रुको, ये क्या गुंडागर्दी है?

चारों गुंडे रुक गए| उन चारों का लीडर मोंटू आगे आया और पार्थ को गुस्से से देखने लगा| उसने पार्थ की ओर पिस्टल तान दी और बोला  “कौन है बे तू? ज्यादा हीरो बनने की कोशिश मत कर|चुपचाप दो मिनट के अन्दर यहां से निकल जा वरना गोली सीधे तेरे सिर में मार दूंगा|”

पिस्टल अपनी तरफ देखकर पार्थ का गला सूख गया| उसने ऐसा पहले सिर्फ फिल्मों में होते देखा था। मोंटू की धमकी को वो हलके में नहीं लेना चाहता था| पार्थ कृष्ण की बात को याद करने लगा|कृष्ण ने कहा था की डर को अपने मन में हावी नहीं होने देना है, तभी अचानक से रागिनी पार्थ के सामने आकर खड़ी हो गयी| वो मोंटू को घूरने लगी| उसने मोंटू की पिस्टल के सामने चाकू निकाला और चिल्लाते हुए बोली|

रागिनी– हिम्मत है तो चला गोली| चला वरना मैं तुझे चाकू से चीर के रख दूंगी|

रागिनी के हाथ में चाकू देख कर मोंटू हड़बड़ा गया| उसने एक बार भी नहीं सोचा था कि उसके ऊपर कोई हमला करने की कोशिश करेगा, वो भी एक लड़की। मोंटू सकपकाते हुए बोला, “ऐ लड़की, चाकू नीचे रख दे वरना बहुत बुरा होगा| मैं तेरे पूरे परिवार को ख़त्म कर दूंगा|”

इस बार रागिनी मोंटू की धमकी से बिल्कुल भी डरी नहीं| वो चाकू के साथ मोंटू की ओर बढ़ी| रागिनी के परिवार वाले उसे मोंटू के साथ भिड़ने से मना कर रहे थे लेकिन उसकी आँखें गुस्से से लाल हो रखीं थीं| अब वो पीछे हटने वाली नहीं थी| जैसे जैसे रागिनी आगे बढ़ रही थी, मोंटू उलटे कदम चल रहा था| रागिनी अचानक से मोंटू को मारने के लिए उसके पीछे भागने लगी| मोंटू डर के मारे घर में यहां-वहां भागने लगा| मोंटू के साथी उसे बचाने के लिए आगे आये लेकिन पार्थ ने उन सब को अकेले ही संभाल लिया| वो अकेला ही उन सब पर भारी पड़ रहा था| मोंटू को अपना मिशन फेल होता दिख रहा था| वो मौका देखते ही अपने साथियों के साथ घर से बाहर भाग गया| बाहर भागते हुए वो धमकी देकर गया  “देख लूँगा तुम सब को| किसी को नहीं छोडूंगा|”

पार्थ और रागिनी एकदूसरे को देख कर हंसने लगे| जैसे ही उन दोनों ने कृष्ण के सबक को फॉलो करना शुरू किया, उनके मन से डर भाग गया और वो दुश्मन पर जीत हासिल करने में सफल रहे| रागिनी के घरवाले पार्थ को थैंक यू बोलते नहीं थक रहे थे| रागिनी के पापा पार्थ को पहले से जानते थे| उन्होंने गुंडों के बारे में पार्थ को पूरी बात बताई कि किस तरह उन्होंने अपने दोस्त से पैसे उधार लिए थे लेकिन पैसे ना लौटाने की वजह से उस दोस्त ने पूरे परिवार के पीछे गुंडे लगा दिए| पार्थ ने उनको हिम्मत दी कि आज के बाद वो इस तरह के गुंडों के सामने हिम्मत ना हारें कुछ देर बाद पार्थ वापस अपने घर आ गया| रागिनी को पार्थ का इस तरह से उसके घर आना और गुंडों से बिना डरे भिड़ जाना अच्छा लगा| वो पार्थ को थैंक यू बोलना चाहती थी| वो रात को पार्थ के फेवरेट नूडल्स लेकर पार्थ के घर चली गयी| रागिनी को देख कर पार्थ की ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं था, क्योंकि उसके घर से लौटते समय वो ठीक से रागिनी से बात नहीं कर पाया था। 

पार्थ – तुम इस वक्त? आओ शेरनी आओ.. 

रागिनी – शेरनी? कोई खास वजह मुझे शेरनी कहने की?

पार्थ – जिस तरह से तुम चाकू लेकर उन गुंडों के पीछे पड़ गईं थीं, मुझे तो लगा तुम उन सब का शिकार कर के ही रहोगी|

दोनों ज़ोर-ज़ोर से हंसने लगे| रागिनी ने पार्थ को नूडल्स सर्व किये। फिर दोनों डायरी के बारे में बात करने लगे| पार्थ ने उसको डायरी मिलने की पूरी कहानी बताई। 

रागिनी खुद को बहुत लकी  मान रही थी कि उसको कृष्ण की जादुई डायरी के बारे में पता चला। वह पार्थ से बोली, 

रागिनी – थैंक यू सो मच पार्थ| तुम्हारी वजह से मुझे कृष्ण से जुड़ने का मौका मिला| तुम मेरे सब से अच्छे फ्रेंड हो|

पार्थ – एक तरफ फ्रेंड बोलती हो और दूसरी तरफ थैंक यू बोलती हो? दो मिनट रुको|

पार्थ इतना बोलकर अपने कमरे में चला गया| वो डायरी लेकर वापस आया| उसने डायरी रागिनी के हाथ में रखी और बोला,

पार्थ – आज से इस पर जितना मेरा हक है उतना ही तुम्हारा भी हक है|

रागिनी को पार्थ का ये जेस्चर इतना अच्छा लगा कि वो इमोशनल होकर उसके गले लग गयी| दोनों गले लगे हुए थे तभी अचानक से घर की सारी लाइट्स ऑन-ऑफ होने लगीं। 

रागिनी एक पल के लिए सहम गयी और उसने पार्थ को और भी कस के गले लगा लिया| पूरे घर में एक अजीब सी ठंडी हवा चलने लगी थी। 

फिर अचानक से घर की सारी खिड़कियाँ ज़ोर-ज़ोर से बजने लगीं| 

पार्थ ये एक्सपीरियंस पहले भी कर चुका था जब उसे पहली बार डायरी मिली थी|

आखिर क्यों पार्थ के घर ऐसी अजीब घटनाएं हो रहीं थीं? 

क्या डायरी का और भी कोई राज़ है? 

आगे क्या होगा, जानेंगे अगले चैप्टर में!

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