पार्थ को अब वहम होने लगा कि वह मुंगेरी लाल के हसीन सपने देख रहा है, लेकिन उसके ये सपने सच से कम नहीं थे| कल रात का सपना सच होने का सब से बड़ा सबूत पार्थ के घर में पड़ी बांसूरी थी| पार्थ ने आज से पहले कभी भी बांसुरी घर में नहीं रखी थी|पार्थ अपने साथ हो रही सारी घटनाओं को कृष्ण के साथ जुडी हुई मान चुका था, लेकिन उसे एक बात अबतक समझ नहीं आई थी कि जादुई डायरी उसे ही क्यों मिली? और उसे ऐसे अजीब सपने, खयाल क्यों आ रहे हैं? अचानक उसे उस मंदिर वाले बूढ़े आदमी की याद आई, जिसने पार्थ से कहा था कि डायरी संभाल के रखना।उसने तय किया कि वो वापस मंदिर जायेगा और उस बूढ़े आदमी से मिलेगा| शायद उसे अपने सवालों के जवाब मिल जाएं|
उस से पहले पार्थ ने अपने मन के सवालों को एक पल के लिए साइड में रख दिया और अपना ध्यान बांसुरी पर लगाया| वह बांसुरी को गौर से देखने लगा|वह देखना चाहता था कि ये बांसुरी सच में कृष्ण की है या उस से अलग है| उसने पिछली रात को सपने में जो कृष्ण की बांसुरी देखी थी वो उसे अच्छे से याद थी|अच्छे से जाँच पड़ताल करने के बाद पार्थ को यकीन हो गया कि उसके पास कृष्ण की ही बांसुरी है|
वो बांसुरी बजाने की कोशिश करने लगा लेकिन उसमें से बड़ी ही बेसुरी आवाज आई| वह समझ गया की इस बांसुरी को कृष्ण के अलावा और कोई नहीं बजा सकता|पार्थ ने बांसुरी अपने घर के मंदिर में रख दी| कुछ देर बाद उसे रागिनी का कॉल आया|
रागिनी – हैलो पार्थ! आई होप, तुम्हें अच्छी नींद आई होगी| वैसे अभी कहाँ हो? अपने घर लौट आए या किसी फ्रेंड के घर?
पार्थ – सॉरी रागिनी, मैंने प्रॉमिस किया था तुमसे कि मैं अपने किसी फ्रेंड के घर रुक जाऊंगा लेकिन मैं अपने ही घर में सोया था|
पार्थ के झूठ बोलने पर रागिनी गुस्सा हो गयी| पार्थ ने जब उसको कल रात की पूरी कहानी सुनाई तो वो भी दंग हो गयी|उसका मन कह रहा था की ये पॉसिबल हो ही नहीं सकता कि कोई इंसान भगवान कृष्ण से मिले लेकिन उसने पहले भी आँखों से कृष्ण की जादुई डायरी के चमत्कार देखे थे|उसे पार्थ पर भी भरोसा था कि वह कृष्ण से मिलने के बारे में झूठ नहीं बोलेगा। पार्थ कृष्ण की कही बातें रागिनी को सुनाने लगा, तभी अचानक कोई दरवाज़े के बाहर ज़ोर-ज़ोर से चिल्ला रहा था।
प्रकाश– पार्थ.. पार्थ दरवाज़ा खोल… तुम्हारे घर की डोर बेल ख़राब है क्या?? पार्थ..
पार्थ फ़ोन रख कर बाहर देखने के लिए आया| उसने दरवाज़ा खोला तो सामने उसके मामा डॉक्टर प्रकाश खड़े थे|अपने मामा को देख कर पार्थ खुश हो गया और उसने उन्हें फौरन गले लगा लिया।
पार्थ – मामा जी मैं बता नहीं सकता आप को देख कर कितना अच्छा लग रहा है| आप से बहुत सारी बातें करनी है| कितने दिनों बाद मिल रहा हूँ आप से मैं।
पार्थ ने अपने मामा का हाथ पकड़ा और उन्हें घर के अन्दर लेकर आ गया। वह फ़ौरन दौड़ कर किचन में गया और उनके लिए पानी ले आया| प्रकाश पानी पीते हुए बोले,
प्रकाश – अरे बस बस, खातिरदारी छोड़ो और बताओ कैसे हो? सब तुम्हारी बहुत तारीफ कर रहे थे|सेक्रटरी सर बोल रहे थे की उन्होंने बड़ी गलती कर दी तुम्हें जॉब से निकालने के बारे में सोच कर|अब तुम ही देख लो, वो अगर ऐसा कह रहे हैं तो तुमने सच में कुछ बहुत बड़ा काम किया होगा।
प्रकाश के मुंह से अपनी तारीफ सुन कर पार्थ को अच्छा लग रहा था| पार्थ को अभी तक जो भी मिला था, उसमें वह अपने मामा का बड़ा हाथ मानता था|
पार्थ – ये सब कुछ आप की वजह से ही हो रहा है| अगर आप नहीं होते तो मेरा पता नहीं क्या होता, शायद किसी अनाथ आश्रम में गुज़रता मेरा बचपन।मम्मी पापा का चेहरा तक नहीं याद मुझे, लेकिन आपकी लोरियां अच्छे से याद हैं।
प्रकाश ने इस बात पर पार्थ को एक थपकी मारी। फिर वो पार्थ से कुरुक्षेत्र के सर्वे के बारे में पूछने लगा,
प्रकाश – वैसे तुम्हें सर्वे में मूर्ति के अलावा कुछ और भी मिला? कुछ ऐसा जो तुमने ऑफिस में सबमिट न किया हो?
पार्थ - नहीं मामाजी, मुझे सिर्फ वो मूर्ति ही मिली थी और मैं क्या करूंगा कुछ भी छिपाकर।
पार्थ ने ये कहते हुए अपनी नज़रें झुका लीं। उसे समझ नहीं आया उसने क्यों अपने मामा से झूठ बोला|डायरी वाली बात उसने रागिनी को तो बता दी थी लेकिन उसका मन इस वक्त मामा से सच बताने से मना कर रहा था| वैसे पार्थ कभी भी अपने मामा से झूठ नहीं बोलता था|वह मन ही मन प्रकाश से माफ़ी मांगने लगा| पार्थ की झुकी नज़रें देखकर प्रकाश समझ गया कि वह उस से कुछ छुपा रहा है| उसने भी पार्थ से दोबारा पूछ कर जबरदस्ती नहीं की|प्रकाश ने अपने दिल्ली आने की ख़ास वजह के बारे में बताया|
प्रकाश – मैं दिल्ली एक मीटिंग के सिलसिले में आया था, तो एक हफ्ता मैं यहीं पर रहूँगा|
पार्थ – ये तो बहुत अच्छी बात है मामाजी| आप हफ्ता क्या, एक महीना रहिये यहां। प्रकाश उसकी बात पर हंसने लगा| दोनों ने बैठ कर खूब सारी बातें की| कुछ देर तक यहां-वहां की बातें करने के बाद पार्थ को याद आया की उसे तो मंदिर जाना था उस बूढ़े आदमी से मिलने। जब पार्थ ने प्रकाश को बताया की वो मंदिर जा रहा है तो वो चौंक कर बोला,
प्रकाश –तू कब से मंदिर जाने लगा? सब कुछ सही तो चल रहा है न? लोग भगवान को तभी याद करते हैं जब उनकी लाइफ में कोई प्रॉब्लम हो वरना ख़ुशी में कौन भगवान को याद करता है?
पार्थ – नहीं मामाजी ऐसी बात नहीं है| कभी कभी ऐसे ही चला जाता हूँ|
पार्थ ने मुस्कुराते हुए कहा| फिर पार्थ मंदिर के लिए निकल गया और प्रकाश उसके कमरे में आराम करने चला गया। मंदिर पहुँच कर पार्थ ने सब से पहले कृष्ण भगवान के दर्शन किये|दर्शन कर के वह उस बूढ़े आदमी को ढूंढने लगा| वो आदमी कहीं भी नहीं दिख रहा था| पार्थ ने फूल वाले से उसके बारे में पूछा|
पार्थ – अंकल आप ने उस बुड्ढे आदमी को देखा है जो हमेशा यहीं मंदिर के आसपास घूमता रहता है| सब लोग उसे पागल कहते है|
फूल वाला माला बनाते हुए पार्थ को घूरने लगा| वो भी सोच में पड़ गया कि किसी को उस पागल आदमी की कैसे जरूरत पड़ सकती है| फूल वाला चिढ़ते हुए बोला, “तुम्हें क्या करना है? उसकी गैंग में जुड़ना है? यहीं कहीं भीख मांग रहा होगा| जाओ अभी, सुबह-सुबह धंधा ख़राब मत करो|”
फूल वाले का रवैया देख पार्थ समझ गया कि किसी से भी पूछना बेकार होगा क्योंकि कोई भी सीधे मुंह जवाब नहीं देगा| उसे खुद ही उस बूढ़े आदमी को ढूँढना होगा|पार्थ उसे ढूंढते हुए मंदिर के पीछे वाले हिस्से में पहुँच गया| वहां कई सारी झोपड़ियाँ बनी हुईं थीं| पार्थ ने सोचा कि वह बूढ़ा आदमी इनमें से किसी एक झोपड़ी में शायद मिल जाए। वह एक-एक कर के सभी झोपड़ियों में जाकर देखने लगा लेकिन वो बूढ़ा आदमी किसी भी झोपड़ी में नहीं था| फिर पार्थ की नज़र थोड़ी दूर मैदान की ओर गयी, वहां एक आदमी सोया हुआ था|पार्थ उस आदमी के पास गया तो वो वही बूढ़ा आदमी था जिसे पार्थ इतनी देर से ढूँढ रहा था| पार्थ ने उसको उठाते हुए कहा,
पार्थ – चाचा.. ओ चाचा.. उठो, उठो चाचा।
पार्थ की आवाज़ से वो आदमी उठ गया और अंगड़ाई लेते हुए बोला, “कौन है? ठीक से सोने भी नहीं देते| जाओ यहां से वरना पुलिस बुला लूँगा|”
लेकिन जैसे ही बूढ़े आदमी ने पार्थ का चेहरा देखा, वो चौंक गया और वहां से भागने लगा। पार्थ उसे रोकने के लिए आवाज़ देने लगा, लेकिन वो आदमी रुकने के लिए तैयार ही नहीं था|वो भागते हुए मंदिर के सामने जा पहुंचा| जब वो थक गया तो मंदिर की सीढियों पर ही बैठ गया| पार्थ भी हांफते हुए उसके बगल में बैठ गया| पार्थ को देख कर वो आदमी बोला, “क्या चाहिए तुम्हें? क्यों मेरे पीछे पड़े हो?”
पार्थ – आप जादुई डायरी के बारे में क्या जानते हो? वो जादुई डायरी सिर्फ मुझे ही क्यों मिली? मैं जानता हूँ मेरे इन सवालों का जवाब आप के पास है|
बूढ़ा आदमी दोबारा भागने की कोशिश करने लगा, लेकिन इस बार पार्थ ने उसको पहले से ही कॉलर से पकड़ रखा था। वो आदमी ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाते हुए बोलने लगा, “मेरे पास तेरे सवालों के जवाब नहीं है| तुझे जवाब चाहिए तो युद्ध भूमि में जा, जहां पांडवों ने कौरवों को मात दी थी| तेरे सवालों के जवाब वो गाँव ही दे सकता है|एक बात ध्यान रखना, जादुई डायरी के दुश्मन बहुत सारे हैं। अगर डायरी गलत हाथों में लग गयी तो सब खत्म हो जाएगा, अच्छाई का नाम-ओ-निशान मिट जाएगा।अब ये संसार तेरे हाथों में है लड़के।”
पार्थ बिना पलकें झपकाएं उसकी बातें सुन रहा था| उसकी बातों ने पार्थ को और भी बड़ी दुविधा में डाल दिया था|न जाने क्यों पर उसकी बातों से अचानक ही पार्थ अपने ऊपर संसार को बचाने का एक बहुत बड़ा बोझ महसूस कर रहा था|वहां पास से गुज़र रहे एक आदमी ने उस बूढ़े आदमी की सारी बातें सुन लीं थीं| उसने पार्थ से कहा, “भाईसाहब, इसकी बातों में मत आना| ये तो पागल है|कल मुझे भी बोल रहा था की मेरी बेटी ताजमहल में कैद है, जब की मैं तो कुंवारा हूँ|”
पार्थ का सिर चकराने लगा था| उसने बूढ़े आदमी से और सवाल करने चाहे तो वो फिर नौ दो ग्यारह हो गया। वहीं दूसरी तरफ प्रकाश पार्थ के पूरे घर की तलाशी ले रहा था|तलाशी लेते वक़्त उसका फ़ोन बजने लगा|
प्रकाश – जी सर, मैं उसे ही ढूँढ रहा हूँ| मुझे पूरा यकीन है कि पार्थ को जादुई डायरी मिल गई है, लेकिन वो मुझसे छुपा रहा है|
प्रकाश डर-डरकर किसी से बात कर रहा था और सामने से एक भारी आवाज़ आई “प्रकाश, मुझे किसी भी हाल में वो डायरी चाहिए।अगर इसके लिए पार्थ को मारना पड़े तो मार देना लेकिन मुझे वो डायरी चाहिए| बस एक बार डायरी हाथ में आ जाये फिर पूरी दुनिया पर सिर्फ मेरा राज़ होगा|तुम्हें भी मैं वो शोहरत दूंगा जो तुमने कभी सोची भी नहीं होगी|”
प्रकाश – मुझ पर भरोसा कीजिये सर| मैं ढूंढ निकालूँगा उसे।
प्रकाश वापस डायरी ढूंढने लग गया| वो पिछले कई सालों से वो डायरी ढूँढ रहा था, लेकिन हर बार उसे नाकामयाबी ही मिल रही थी|उसने जानबूझकर पार्थ ओ कुरुक्षेत्र वाला प्रोजेक्ट दिलवाया था। उसे लगा था कि पार्थ आसानी से वो डायरी ढूंढ निकालेगा और फिर प्रकाश को सौंप देगा, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।
प्रकाश ने पार्थ के लौटने से पहले ही पूरा घर छान मारा था, लेकिन उसे डायरी कहीं नहीं मिली| तभी उसकी नज़र तिजोरी पर गयी|उसने तिजोरी खोलने की कोशिश की, लेकिन उसमें मज़बूत लॉक लगा हुआ था। उसे कहीं चाबी भी नहीं मिली। प्रकाश बुरी तरह इरिटेट हो गया था, तभी उसके दिमाग में एक खयाल आया।
क्या प्रकाश जादुई डायरी हासिल कर पाएगा?
क्या पार्थ अपने मामा का सच जान पाएगा?
आगे क्या होगा, जानेंगे अगले चैप्टर में!
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