“हाँ, सुहानी,” मीरा की आवाज़ में एक अजीब सी हलचल थी, जैसे कोई भारी भार उसके सीने से उतर गया हो। “जब मैंने गौरवी के उस पागलपन से भरी हरकतों के बारे में सुना, तो मेरे होश ही उड़ गए थे। मैं जानती थी कि वो पागल तो है, लेकिन इतनी गहरी चालाकी और क्रूरता के बारे में कभी सोचा भी नहीं था। सच कहूँ तो, वो सच सुनकर मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था।”
मीरा ने कुछ पल के लिए चुप्पी साध ली, जैसे अपने अंदर उमड़ते तूफान को संभाल रही हो। फिर उसने धीरे से कहा, “वैसे, जो रिपोर्ट्स, सबूत और वीडियो तुमने मुझे भेजे थे, उन्हें मैंने तुरंत अपने भरोसेमंद हैकर दोस्त को सौंप दिया है। वह उस काम में माहिर है, और मैं जानती हूँ कि उस पर पूरा भरोसा किया जा सकता है। अब बस एक इशारे की देर है, और वो सारी सच्चाई पूरी दुनिया के सामने आ जाएगी। इंटरनेट पर सब वायरल हो जाएगा, और कोई भी इन सबको छिपा नहीं सकेगा।”
मीरा की आवाज़ में एक नई ताकत झलक रही थी, जैसे अब वह पूरी दुनिया से लड़ने के लिए तैयार हो। उसकी यह बात सुहानी के दिल में उम्मीद की एक नई लौ जगा गई — मानो जैसे अब सच की ताकत हर अंधेरे को मिटा देगी।
“मुझे लगता है, अब समय आ गया है, मीरा,” सुहानी ने अपनी आवाज़ में ठहराव और पक्का इरादा जताते हुए कहा। “अपने उस हैकर दोस्त को तुरंत कहो कि वह सारे सबूत और वीडियोज़ अपलोड करना शुरू कर दे। वो सारे वीडियोज़ जो हमने इस रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान लिए थे — ताकि पूरी दुनिया देख सके कि ये राक्षस वास्तव में कौन हैं। साथ ही, उन लोगों का भी पर्दाफाश होगा जो इन राक्षसों का साथ दे रहे थे, जो दोगले हैं, और सत्ता और बिजनेस की दुनिया में छुपे हुए हैं।”
उसकी आवाज़ में एक तीव्र क्रोध और न्याय की प्यास दोनों झलक रही थी। सुहानी जानती थी कि यह कदम कितना बड़ा और खतरनाक होने वाला है, लेकिन अब और इंतज़ार नहीं किया जा सकता था। सच को सामने लाना ही एकमात्र रास्ता था।
मीरा ने तुरंत प्रतिक्रिया दी, “On it!” उसकी आवाज़ में भी संकल्प की चमक थी। उसने जैसे एकदम से अपने सारे संसाधनों को जुटा लिया था, और वह तैयार थी इस लड़ाई को जीतने के लिए।
“मरियम,” सुहानी ने गंभीर आवाज़ में कहा, “मुझे लगता है कि आपको इस ऑपरेशन के सारे लाइव अपडेट्स भी मीरा के उस दोस्त के साथ साझा करने चाहिए। ताकि वह हर छोटी-बड़ी जानकारी तुरंत हासिल कर सके और समय पर उसे वायरल कर सके।”
मरियम ने निश्चय भरे स्वर में जवाब दिया, “ओके, मैम। मैं इसका पूरा ध्यान रखूंगी और जैसे ही कोई अपडेट होगा, उसे तुरंत भेज दूंगी।”
सुहानी के चेहरे पर राहत की हल्की मुस्कान उभर आई। अब सब कुछ एक साथ सही दिशा में चल रहा था, और हर कदम पर सावधानी और तेज़ी से काम हो रहा था।
शमशेर की आवाज़ में एक ठोस और संजीदा लहजा था, जैसे कि उसने पूरी स्थिति का भार अपने कंधों पर उठा लिया हो। उसने गंभीरता से कहा, “रमेश, अब कोई देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। तुम्हें अपने सारे associates, जो हमारे नेटवर्क का हिस्सा हैं, और हर एक कॉन्टेक्ट को पूरी तरह अपडेट करना होगा। उन्हें स्पष्ट रूप से बता देना कि आज से पूरी तरह से सक्रिय हो जाए। ये हमारी आखिरी कोशिश है, और इस बार हमें अपना 100% देना होगा। हर कदम पर सतर्क रहना होगा।”
रमेश ने एकदम गंभीर होकर जवाब दिया, “जी शमशेर साहब, मैं इस काम को प्राथमिकता दूंगा। अभी से मैं सभी को सूचित कर देता हूं ताकि हर कोई अपनी जगह पर पूरी तैयारी के साथ एक्टिव हो जाए। कोई भी गलती या ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”
शमशेर की आंखों में एक तरह से जीने की चाह और दृढ़ संकल्प झलक रहा था। उसकी यह कमान संभालने वाली ताकत हर किसी के दिल में उम्मीद की लौ जगा रही थी। इस इमरजेंसी मीटिंग में मौजूद सभी लोग शांति से उसकी बात सुन रहे थे, मानो ये पल उनकी पूरी लड़ाई का मोड़ लेकर देने वाला हो।
रमेश ने तुरंत फोन उठाया और अपने नेटवर्क में मौजूद सभी को कॉल करना शुरू कर दिया। हर एक संपर्क पर जल्दी और सावधानी से संदेश भेजा गया। सच की ओर उठते इन क़दमों की गूंज में हर तरफ सक्रियता की भावना फैल गई।
शमशेर ने धीमे स्वर में कहा, “अब वक्त आ गया है, हम उस सच को उजागर करेंगे जिसे छुपा रखा गया है। हम अपनी लड़ाई जीतेंगे, चाहे जो भी हो।”
सुहानी ने थोड़ी देर के लिए चुप्पी साधी, फिर धीमी और पक्की आवाज़ में कहा, “आप सब लोग अपना-अपना ध्यान रखना। ये वक्त बहुत कठिन होने वाला है, मगर हमें हार नहीं माननी। मैं पूरी उम्मीद करती हूँ कि माँ हमें जल्दी मिल जाएंगी, और पापा भी उस जेल से जल्दी बाहर आ जाएंगे। हमें एक-दूसरे का सहारा बनना होगा।”
उसकी आँखों में एक आशा की चमक थी, जो हर मुश्किल को पार करने की ताकत देती है। सबके दिलों में उसी उम्मीद ने घर कर लिया था।
किसी ने हौसला देते हुए कहा, “सभी को बेस्ट ऑफ़ लक।”
“तुम्हें भी, सुहानी,” एक और ने प्यार से कहा।
“तुम्हें भी, बेटा,” शमशेर ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, अपनी बहू के लिए अपने मन का पूरा विश्वास जताते हुए।
वह छोटा सा संवाद एक-दूसरे की हिम्मत बढ़ाने और साथ खड़े रहने का संकल्प था, जो इस जटिल लड़ाई को और भी मजबूत बनाने वाला था।
दूसरी ओर, तेज़ रफ्तार में भागती गाड़ी में सन्नाटा पसरा हुआ था, बस GPS की हल्की आवाज़ें और गाड़ी के टायरों की सड़क से रगड़ सुनाई दे रही थी। आरव और विक्रम, दोनों की निगाहें सामने थीं, पर दिमाग़ में हज़ारों सवाल गूंज रहे थे।
“बस कुछ ही मिनटों में हम वहां पहुँच जाएंगे,” विक्रम ने धीरे से कहा, उसकी आँखों में चिंता और संदेह दोनों झलक रहे थे।
“ये वही जगह है ना?” आरव ने पूछा।
“हाँ, वही….रणवीर की सबसे अहम साइट। वो किसी को भी वहाँ पास नहीं जाने देता था। बहुत गुप्त ठिकाना है ये।”
गाड़ी जैसे ही एक सुनसान इलाके में मुड़ी, सामने की ओर से धुआं उठता दिखाई देने लगा। धुआं काला, घना, और हवा में फैलता हुआ था — किसी बड़े हादसे की ओर इशारा करता हुआ।
“ओह नो...” विक्रम ने धीरे से फुसफुसाया, और आरव ने भी तेज़ी से ब्रेक लगा दिए।
“क्या तुम भी वही देख रहे हो जो मैं देख रहा हूं?” आरव ने गाड़ी एक सुरक्षित दूरी पर रोकी।
उनकी नज़रें दूर उस साइट पर थीं — जहाँ अब आग की लपटें उठ रही थीं। चारों तरफ अफरा-तफरी मची थी। सुरक्षाकर्मी इधर-उधर भाग रहे थे। और तभी, एक SUV तेजी से साइट के गेट के सामने आकर रुकी।
“रणवीर!” विक्रम ने फौरन पहचान लिया।
रणवीर ने दरवाजा झटक कर खोला और बेतहाशा गाड़ी से उतरा। वो सीधा आग की ओर भागा। उसका चेहरा गुस्से से तमतमाया हुआ था, जैसे किसी ने उसके वजूद पर हमला कर दिया हो।
"किसने किया ये? किसने??" रणवीर की दहाड़ हवा में गूंज उठी।
“किसकी इतनी हिम्मत हुई?” वो चीखते हुए अपने सुरक्षा गार्ड्स पर टूट पड़ा।
उसकी आवाज़ में एक टूटन, एक झुंझलाहट, और गुस्से का ऐसा समंदर था, जो उसके नियंत्रण से बाहर जा रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे उसका कोई बहुत बड़ा राज, उसकी सबसे गहरी परतों में छिपा सच, उस आग की लपटों में जल रहा हो।
आरव और विक्रम अब भी अपनी गाड़ी के अंदर बैठे-बैठे सब कुछ चुपचाप देख रहे थे।
“ये कोई हादसा नहीं है...” विक्रम बुदबुदाया, “ये किसी का प्लान किया हुआ कदम है। कोई ऐसा जो अब रणवीर को भी मिटाने की कोशिश कर रहा है...”
“या फिर... रणवीर कुछ छिपा रहा था जो अब जल कर राख़ हो चुका है,” आरव ने गंभीर लहज़े में कहा।
साइट से उठता धुआं अब आसमान में फैल चुका था, और रणवीर का बौखलाया चेहरा इस जंग के नए मोड़ की घोषणा कर रहा था।
रणवीर की आवाज़ गूंज रही थी, लेकिन सुरक्षाकर्मी किसी का नाम लेने या जवाब देने में असमर्थ थे। वे एक-दूसरे की तरफ देख रहे थे, उनकी आँखों में डर और अनिश्चितता साफ झलक रही थी। किसी में भी उस सवाल का जवाब देने की हिम्मत नहीं थी।
रणवीर का गुस्सा जैसे आग की लपटों से भी तेज़ था। उसने अपना गुस्सा दबाए नहीं रखा। अचानक उसने अपने सामने खड़े एक गार्ड का कॉलर कसकर पकड़ लिया, इतनी जोर से कि गार्ड खुद को संभालने के लिए झुक गया। रणवीर ने बिना कोई और देरी किए, उसी हाथ से उस गार्ड के चेहरे पर एक जोरदार थप्पड़ जड़ दिया।
थप्पड़ की आवाज़ हवा में गूंज गई। गार्ड की आँखें फैल गईं, और उसके होंठ फड़फड़ाने लगे। मगर रणवीर रुका नहीं। उसने फिर से उसी गार्ड का कॉलर पकड़ा और उसे अपने चेहरे के बिल्कुल पास खींच लाया। रणवीर की नज़रें भयंकर थीं, उसके होठ सख्त थे, और उसकी आवाज़ गुर्राते हुए निकल रही थी।
“पता लगाओ किसने किया ये?” रणवीर ने कड़क आवाज़ में कहा, जैसे हर शब्द में मौत की सजा हो।
गार्ड के हाथ कांप रहे थे। उसकी सांसें भारी हो गई थीं, और उसके अंदर घबराहट की लहर दौड़ गई थी। उसने घबराते हुए, बुरी तरह से घबराई हुई आवाज़ में कहा, “जी, सर…”
उसके चेहरे पर साफ था कि वह इस दबाव और डर के आगे झुक चुका था, लेकिन अभी भी वह कुछ बताने के लिए झिझक रहा था। रणवीर के कड़क शब्दों और तेवर ने उस गार्ड को असहाय बना दिया था।
सभी गार्ड खामोश थे, पर उनकी आंखों में साफ दिख रहा था कि रणवीर का गुस्सा कहीं जाने वाला नहीं था। रणवीर अब जवाब चाहता था — किसी भी कीमत पर।
रणवीर अब पूरी तरह बौखला चुका था। उसकी आँखों में गुस्से के साथ-साथ बेचैनी और डर भी साफ झलक रही थी। आग की लपटें सामने धधक रही थीं, और काले धुएं का गुब्बारा हवा में भर चुका था। वह तेजी से आगे बढ़ा, और झुक कर अपने घुटनो पर हाँथ रखते हुए एक जोरदार आवाज़ में चीख पड़ा— “और वो कहाँ गया? मेरा भाई कहाँ गया?! क्या वो अंदर था जब आग लगी?!”
उसकी आवाज़ में बेताबी थी, और वो बेताबी आरव और विक्रम के सवालों का जवाब दे गई। वे अभी भी अपनी गाड़ी के अंदर बैठे हुए थे, दूर से ये पूरा नज़ारा देख रहे थे। रणवीर की ये चीख उनके कानों में जैसे कोई रहस्य की दीवार तोड़ गई।
आरव और विक्रम ने एक-दूसरे की तरफ देखा। यही वो पल था—जिसने सब कुछ साफ कर दिया था। अब उन्हें किसी सबूत की जरूरत नहीं थी। रणवीर ने खुद कुबूल कर लिया था कि दिग्विजय राठौर उसके पास ही था। वही ‘भाई’—जिसका जिक्र अभी उसने किया था—जिसका ख्याल अब उसे सता रहा था।
मतलब... दिग्विजय राठौर अभी तक ज़िंदा था। मगर अब? क्या वो उस आग में जलकर...? इस ख्याल ने आरव और विक्रम के रोंगटे खड़े कर दिए।
रणवीर वहीं खड़ा आग की लपटों की ओर देख रहा था, और जैसे होश खो बैठा था। उसने फिर से चिल्लाकर कहा— “अरे कुछ बोल क्यों नहीं रहे तुम लोग?!”
वो अपने गार्ड्स की तरफ मुड़ा। उसका चेहरा लाल था, आंखें पागलपन की हद तक क्रोधित। उसके गले की नसें तन गई थीं। मगर उसके सवाल का फिर भी कोई जवाब नहीं मिला। गार्ड्स खामोश थे….डर, शर्म और भ्रम की चुप्पी में डूबे हुए।
रणवीर की चीख अब सिर्फ गुस्से की नहीं थी। उसमें हार, डर, और घबराहट सब कुछ था। उसने कुछ पल तक अपने आस-पास देखा... मानो किसी उम्मीद की तलाश में हो, लेकिन अब वक़्त हाथ से फिसल चुका था।
"स... सर... वो... वो..." गार्ड की आवाज़ काँप रही थी। उसके होंठ सूख चुके थे, गला जैसे जवाब दे गया था। आँखों में डर, पसीने में डूबा हुआ चेहरा और कांपते हाथ — उसने रणवीर की आँखों में झाँका, मगर ज़ुबान से कुछ साफ़ कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाया।
रणवीर का पारा और चढ़ गया। उसकी आँखें अब जलती आग की तरह चमकने लगी थीं। उसने गार्ड के घबराए चेहरे को देखते हुए एक कदम आगे बढ़ाया और गुस्से से दहाड़ पड़ा—
“अरे वो 'वो' क्या? सीधा बोल ना! वो जल के मर गया क्या अंदर?”
उसकी आवाज़ इतनी तेज़ और भारी थी कि आस-पास का सन्नाटा चीरती चली गई। बाकी गार्ड्स की सांसें भी जैसे थम सी गईं। उस एक सवाल ने हवा को बोझिल कर दिया था।
रणवीर की आँखें अब आग से नहीं, डर से भरी हुई थीं। वो जवाब चाहता था... मगर शायद उस जवाब से भी डर रहा था। गार्ड कुछ कह नहीं पाया…उसकी चुप्पी और कांपती हालत ही रणवीर को बहुत कुछ कह चुकी थी। और दूर खड़ी गाड़ी में बैठे आरव और विक्रम के लिए भी, उस एक सवाल और गहरी चुप्पी ने सब कह दिया था।
आगे की कहानी जानने के लिए पढ़ते रहिये, रिश्तों का क़र्ज़।
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