Canvas Ke Uss Paar | कैन्वस के उस पार | | Author: Monika Patidar

30

Chapters

3.7K

Reads

एक बिज़नेसमैन, पेंटर नीना को, अपनी स्वर्गीय पत्नी वसुंधरा की तस्वीर बनाने के लिए एक जादुई पेंट देता है। वह पेंट नीना को अपनी काली शक्तियों के जाल में फंसा लेता है। बदले की आग में जल रही वसुंधरा की आत्मा, कैनवस के रंगों के साथ ज़िंदा होने लगती है। क्या वसुंधरा की आत्मा को, नीना दिला पाएगी इंसाफ़ या उसकी भी आत्मा हो जाएगी कैनवस में क़ैद?
Read More

1

Chapter 1: एक पेंटिंग बनवाना है

157 9 months ago

2

Chapter 2: लकड़ी का डब्बा

74 9 months ago

3

Chapter 3: चौधरी बागान बाड़ी

72 9 months ago

4

Chapter 4: अतीत की गूंज

54 9 months ago

5

Chapter 5: कल की परछाई आज पर

50 9 months ago

6

Chapter 6: मोहे रंग दे

57 9 months ago

7

Chapter 7: हाथों के दाग़ छुपाऊँ कैसे

56 9 months ago

8

Chapter 8: पीछे मत मुड़ना

48 9 months ago

9

Chapter 9: आँखें होतीं हैं दिल की ज़ुबान

52 9 months ago

10

Chapter 10: सरगोशियाँ

51 9 months ago

11

Chapter 11: है जुनून

73 9 months ago

12

Chapter 12: एकांत चाहिए

48 9 months ago

13

Chapter 13: सपना या हक़ीक़त

50 9 months ago

14

Chapter 14: सत्य या मिथ्या

50 9 months ago

15

Chapter 15: डांट से डर नहीं लगता साहब

52 9 months ago

16

Chapter 16: सच का नक़ाब

59 9 months ago

17

Chapter 17: पलायन

79 9 months ago

18

Chapter 18: आएगा आनेवाला

51 9 months ago

19

Chapter 19: आत्मा की अनुपस्थिति

58 9 months ago

20

Chapter 20: बंधे हाथ

48 211 days ago

21

Chapter 21 : कहीं अब न जा

25 210 days ago

22

Chapter 22 : मेरी आवाज़ ही मेरी पहचान है

1 209 days ago

23

Chapter 23 : प्यासी रहने दो

1 208 days ago

24

Chapter 24: लुका-छुपी बहुत हुई

1 207 days ago

25

Chapter 25 : मुझे ख़त्म करो

1 206 days ago

26

Chapter 26: स्टुडियो में वापसी

1 205 days ago

27

Episode 27: बोउदी बिना जिया जाये ना

1 204 days ago

28

Chapter 28: तुझे सब का पता, मेरी माँ

1 203 days ago

29

Chapter 29 : ये लाल रंग कब मुझे छोड़ेगा

1 202 days ago

30

Chapter 30: असली मामला

1 201 days ago

Be the first to review “”

Your Rating
Write A review

No reviews available for this novel.